रविवार, 23 सितंबर 2012






बचेंगे तो सहर देखेंगे
कमलेश
भारत बंद के ठीक अगले दिन हमलोग कुछ खुदरा व्यवसायियों और कुछ लघु उद्यमियों से मिलने पहुंचे थे। हम जानना चाहते थे कि खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को लेकर वे क्या सोचते हैं जो इससे सीधे प्रभावित होने वाले हैं। दलदली रोड, बीएमपी रोड और बोरिंग रोड के कुछ इलाके खुदरा व्यापार के बड़े इलाके हैं। खासकर दलदली में खुदरा दुकानों से खरीदारी करने के लिए पूरे पटना से लोग आते हैं।
खुदरा व्यवसायी इस मामले में बहुत आंकड़ेबाजी के बारे में नहीं जानते। कुछ लोगों ने तो वालमार्ट का नाम भी पहली बार सुना है। हालांकि अधिकतर दुकानदारों ने कहा कि इसके खिलाफ हुए बंद में वे पूरी तरह शामिल थे और उन्होंने खुद अपनी दुकानों को बंद रखा था।
 खुदरा व्यवसायियों के नेता हैं रमेश चंद्र तलरेजा। बिल्कुल पारंपरिक अंदाज में धोती-कुरता पहनने वाले तलरेजा देखने से ही खुदरा व्यापारी के प्रतिरूप लगते हैं। एफडीआई को लेकर उनकी जानकारी अद्भुत थी और उन्होंने बिल्कुल जमीनी अंदाज में समझाया कि एफडीआई का असर उनके व्यवसाय पर किस तरह पड़ेगा। उनसे बात शुरू हुई तो वे पहले हंसे और फिर धीरे से कहा- वाल मार्ट तो अभी दूर है। संकट तो अभी से शुरू हो गया है। खुदरा दुकानदारों की रोजी-रोटी पर तो अभी से ही बिजली गिरने लगी है। आज की तारीख में हमारे 15 फीसदी ग्राहक हमसे अलग हो गए हैं। हमारे ये ग्राहक ऐसे थे जो नकद ग्राहक थे और जिनके यहां से उधार की कोई गुंजाइश नहीं थी।
हमारे नहीं समझने पर तलरेजाजी ने समझाने वाले अंदाज में कहा- हाल के दिनों में पटना में खरीदारी की सूरत पूरी तरह बदल गई है। पटना में इधर के दिनों में तेजी से खुल रहे मेगा मार्ट और मॉल ने हमारे धंधे को चौपट करने की शुरूआत कर दी है। उनके अनुसार पटना में खुदरा दुकानदारों की ये स्थिति तब हुई है जब शहर में केवल एक मॉल है। अभी दो-तीन मॉल खुलने वाले हैं। इनके खुलने के बाद तो और हालत खराब हो जाएगी। इसके बाद हम वॉलमार्ट से लड़ने लायक बचेंगे तब तो लड़ेंगे।
उनके अलावा पटना के दूसरे इलाकों के भी कई अन्य खुदरा व्यापारियों से बात करने के बाद जो तस्वीर उभरती है वह सचमुच भयावह है। यह इस बात को भी बताता है कि हम किस तरह छोटे और मंझोले दुकानदारों को उनके भाग्य पर छोड़ते जा रहे हैं। छोटे और मंझोले खुदरा व्यपारी अमूमन अपने ग्राहकों को तीन श्रेणी में बांटते हैं। पहली श्रेणी में वैसे ग्राहक होते हैं जो पूरी खरीदारी हर महीने में एक साथ और नकद करते हैं। ये ग्राहक महीने में एक दिन आते हैं और एक साथ पूरे महीने की खरीदारी कर लेते हैं। ऐसे ग्राहक इन छोटे दुकानों की जान होते हैं क्योंकि इनसे उन्हें एकमुश्त पैसा मिल जाता है। दुकानदारों की भाषा में ये बड़े लोग होते हैं। दूसरी श्रेणी में वैसे ग्राहक होते हैं जिनके साथ उधार खाते का हिसाब चलता है। ये ग्राहक भी खरीदारी तो खुद महीने में एक बार करते हैं लेकिन इनके यहां से पैसा रुक-रुक कर आता है। तीसरी श्रेणी में पूरे महीने छोटी-मोटी खरीदारी करने वाले लोग होते हैं। इनके साथ भी उधार-खाते का संबंध निरंतर चलता है। दुकानदारों के अनुसार तीसरी श्रेणी के लोगों के भरोसे धंधा नहीं चल सकता है।
राजधानी में पहले विशाल मेगामार्ट खुला और उसके बाद पीएनएम मॉल। खासकर मॉल खुलने के बाद खुदरा व्यापारियों ने पाया कि उनके यहां पहली श्रेणी के खरीदारों का आना कम हो रहा है। अब तो धीरे-धीरे पूरी तरह बंद हो गया है। दरअसल अब इन खरीदारों को मॉल और मेगा मार्ट में खरीदारी के साथ-साथ घूमने-फिरने की भी जगह मिल गई है। ये अपने परिवार के साथ मॉल जाते हैं, मौज-मस्ती करते हैं और सामान खरीदकर वापस आ जाते हैं। अब दलदली रोड जैसे जगहों की दुकानें उनके लिए दूसरी प्राथमिकता की दुकान रह गई हैं। मतलब इन दुकानों में वे बीच-बीच में उस समय चले जाते हैं जब उन्हें अचानक किसी खास चीज की जरूरत पड़ जाती है और वे उस एकमात्र चीज के लिए मॉल नहीं जा सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि किसी के घर में बीच महीने में अचानक घी खत्म हो जाती है तो वह जरूर इन छोटी दुकानों में जाता है। अलबत्ता दूसरी और तीसरी श्रेणी के दुकानदार अभी भी पूरी तरह ऐसी ही दुकानों के साथ हैं।
अभी केवल पाटलिपुत्र कॉलोनी में ही मॉल होने का लाभ भी इन छोटी दुकानों को मिल जा रहा है। दूरी वाले इलाकों के लोग सप्ताह में एक दिन या कम से कम महीने में एक दिन मॉल जा रहे हैं लेकिन जब राजापुर पुल और स्टेशन के आसपास के इलाकों में बन रहे मॉल खुल जाएंगे जिनके खुलने की बात चल रही है तो फिर इन छोटी दुकानों का क्या होगा? ये सोचकर ही ये दुकानदार डर जा रहे हैं। खुद तलरेजाजी ने सलाह दी कि हमें पीएनएम मॉल के आसपास के इलाकों में पहले से चलने वाली छोटी दुकानों का सर्वे करना चाहिए और देखना चाहिए कि मॉल खुलने के बाद उनकी बिक्री पर कितना असर पड़ा है। मॉल और मेगा मार्ट के अलावा नाइन टू नाइन और दूसरे बड़े शॅपिंग स्टोरों ने उनकी हालत खराब कर दी है। दुकानदारों को तो अब यह डर भी सता रहा है कि जब मॉल की संख्या ज्यादा हो जाएगी तो दूसरी श्रेणी के भी ग्राहक उनके पास से हटने लगेंगे। और तब उनके पास केवल ऐसे ग्राहक ही बचेंगे जो छोटी-छोटी खरीदारी करेंगे और इसका भी अधिकतर हिस्सा उधार खरीदारी का रहेंगा।
ये पटना के विकास का नया चेहरा है। यहां डॉमिनोज खुला, नेरुलाज खुलने जा रहा है और अब केएफसी की बात हो रही है। इनकी खूब चर्चा हो रही है। लेकिन जिन इलाकों में ये खुल रहे हैं उन इलाकों में छोटी-मोटी चाय-नाश्ते की दुकानें बंद होती जा रही हैं। ये बेरोजगार हो रहे लोग अभी क्या कर रहे हैं- ये जानना भी दिलचस्प होगा। 

शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

सामने आया पुलिस का महिला विरोधी चेहरा

पीयूसीएल ने जारी की दो घटनाओं की जांच रिपोर्ट
कमलेश
पीयूसीएल ने एक बार फिर बिहार के दो बलात्कार कांडों की जांच रिपोर्ट जारी की है। दोनों ही मामलों में बलात्कार के बाद पीड़िता की हत्या कर दी गई। एक मामले में तो पीड़िता आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची थी जबकि दूसरे मामले में पांच बच्चों की मां। दोनों ही मामलों में पुलिस ने निहायत ही लापरवाही और गैर जिम्मेदारी भरा रवैया अपनाया। दोनों ही मामलों में पुलिस पर अपराधियों के साथ सांठ-गांठ का आरोप लगा। बलात्कार के एक मामले में जहां पीड़िता अति पिछड़ी जाति की थी, पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज नहीं की। बाद में जब सामाजिक कार्यकर्ता-पत्रकार अनिल प्रकाश और पूर्व आईजी रामचंद्र खान आदि ने पुलिस पर दबाव बनाया तब जाकर एफआईआर तो दर्ज की गई लेकिन यहां मामला बलात्कार के बजाय दुर्घटना का बताया गया। जिस टीम ने इन दोनों घटनाओं की जांच रिपोर्ट जारी की है उसमें पीयूसीएल की प्रदेश उपाध्यक्ष प्रो. डेजी नारायण, शाहिद कमाल, पूर्व सचिव और पत्रकार निवेदिता झा, राज्य महासचिव जितेन्द्र और सदस्य राजेश्वर पासवान शामिल थे। 

बलात्कार के बाद बच्ची को मार डाला
पहला मामला मुजफ्फरपुर जिले के कटरा थाने के सीयातपुर पंचायत स्थित कोप्पी गांव का है। 12 जुलाई को गांव के रवीन्द्र सिंह की 14 साल की बेटी खुशबू कुमारी शाम में छह बजे बगीचे में नित्य क्रिया से निवृत्त होने गई थी। यह बगीचा गांव के दक्षिण में है। जब वह एक घंटे तक वापस नहीं लौटी तो घरवालों ने उसकी तलाश शुरू की। काफी तलाश के बाद घरवालों ने गांव के लोगों की मदद से खुशबू की लाश झाड़ियों से बरामद की। उसके ही दुपट्टे से गला दबाकर उसे मार डाला गया था। उसके शरीर के नीचे के कपड़े खून से तर-बतर थे। खुशबू की लाश रात दस बजे घर लाई गई। घर वालों ने गांव के चौकीदार के माध्यम से कटरा थाने की पुलिस को खबर दी लेकिन पुलिस कई घंटे गुजर जाने के बावजूद नहीं पहुंची।
घर के लोगों ने पीयूसीएल की टीम से कहा कि खुशबू के हत्यारों ने पुलिस को रिश्वत दिये थे इसीलिए पुलिस समय पर नहीं आई। घर के लोगों ने खुशबू के साथ बलात्कार और हत्या का आरोप गांव के ही अवधेश सिंह, त्रिलोक सिंह, सुभाष, पंकज सिंह पर लगाया। ये लोग पीड़िता के परिवार के रिश्तेदार थे। लेकिन पीड़िता के चाचा देवेन्द्र सिंह ने पुलिस को जो शिकायत दर्ज कराई उसमें अवधेश सिंह, त्रिलोक सिंह और पंकज सिंह को आरोपित किया गया था। शिकायत में यह भी कहा गया था कि आरोपित पीड़िता के परिवार को बराबर धमकाते रहते हैं। घरवालों का कहना है कि आरोपित और उनके परिजन बराबर उनपर केस उठा लेने की धमकी देते रहते हैं। इस घटना के बाद रवीन्द्र सिंह के घर की खास कर कॉलेज जाने वाली लड़कियां भयभीत रहती हैं और घर की महिलाओं को भी सहमकर ही बाहर निकलना पड़ता है।
चश्मदीद गवाह को भी मिल रही धमकी
इस घटना के एक गवाह सुरेश सहनी बूढ़े आदमी हैं और बगीचे में ही पहले हिस्से में झोपड़ी बनाकर रहते हैं। उन्होंने पीयूसीएल की टीम को बताया कि उन्होंने शाम में सात बजे के आसपास खुशबू कुमारी को बगीचे की तरफ जाते हुए देखा था। उस समय अंधेरा फैल गया था। अवधेश सिंह, त्रिलोक सिंह, पंकज सिंह और सुभाष सिंह उसकी झोपड़ी में नशे की हालत में बैठे थे। उनलोगों ने भी खुशबू को बगीचे की तरफ जाते हुए देखा। कुछ ही मिनटों के बाद पहले अवधेश सिंह और उसके बाद त्रिलोक सिंह उसी तरफ गए जिस तरफ लड़की गई थी। इस दौरान सुभाष सिंह सड़क पर इधर से उधर टहलता रहा मानो वह गार्ड का काम कर रहा था। पंकज सुरेश सहनी के ही साथ बैठा रहा। सुरेश सहनी ने बताया कि अभियुक्तों के परिजन उसे कोर्ट में बयान नहीं देने के लिए धमकी दे रहे हैं।  पीयूसीएल की टीम अभियुक्तों के भी घर पहुंची लेकिन वहां कोई नहीं था और घर में ताला बंद था।
पुलिस ने क्या कहा
कटरा थाना के थानाध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि उन्हें सुबह में इस घटना के बारे में जानकारी मिली। उन्होंने पुलिसकर्मियों को आदेश दिया कि वे लाश को बरामद करे और एफअईआर दर्ज करें। उनका कहना था कि यह मामला बलात्कार का नहीं हत्या का था। 13 जुलाई को एफआईआर दर्ज हुई और केवल दो व्यक्तियों अवधेश सिंह और त्रिलोक सिंह को अभियुक्त बनाया गया। इस घटना के मुख्य अभियुक्त अवधेश सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस की जांच रिपोर्ट के अनुसार अभियुक्त ने स्वीकार किया कि उसने खुशबू कुमारी के साथ बलात्कार करने की कोशिश की लेकिन बच्ची ने प्रतिरोध किया और उसके प्रतिरोध के कारण अपराधी अपने मंसूबे में सफल नहीं हो सका। गुस्से में आकर उसने खुशबू का गला उसके ही दुपट्टे से कसकर उसे मार डाला। दूसरा अभियुक्त त्रिलोक सिंह फरार है।
पीयूसीएल की टीम ने अपने निष्कर्ष में कहा है कि पहली नजर में बलात्कार का मामला परिवारों की लड़ाई का परिणाम लगता है जिसका नतीजा बच्ची की मौत के रूप में निकला। खुशबू के परिजनों ने 14 जुलाई को शिकायत दर्ज कराई लेकिन पुलिस ने एफआईआर 13 जुलाई की तारीख में ही दर्ज कर लिया। ऐसा क्यों? खुशबू के परिजन भयभीत हैं। उनकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। फरार अभियुक्त और उनके परिजन खुशबू के परिजनों को लगतार धमकी दे रहे हैं।

मार डाली गई महिला, पुलिस ने कहा-दुर्घटना
पीयूसीएल की टीम कटरा थाने के ही घनौरा गांव पहुंची जहां डीह टोला के छोटे सहनी की पत्नी मीरा सहनी के साथ गैंग रेप किया गया था। इस गांव में भूमिहार जाति का दबदबा है जबकि बाकी मल्लाह और कुछ दलितों के घर हैं। यह घटना 19 मई की थी। मीरा सहनी पांच बच्चों की मां थी और उनके पति छोटे सहनी कोलकाता में काम करते हैं। वे भूमिहीन थीं और एक कमरे में अपने पांच बच्चों के साथ रहती थीं। पीयूसीएल की टीम को गांव के लोगों ने बताया कि मीरा सहनी को रात में एक अनजान फोन आया। फोन करने वाले ने उनसे कहा कि उनके बड़े बेटे राजेश कुमार को गांव के स्कूल के पास कुछ लोगों ने मार डाला है। स्कूल में एक धार्मिक आयोजन चल रहा था। यह खबर सुनते ही बदहवास मीरा सहनी घर से बाहर निकल गईं। कुछ लोग घर के बाहर खड़े थे। मीरा सहनी को उन्होंने अपनी बाइक पर बैठाया और लेकर चले गए। परिजनों का आरोप है कि उनलोगों ने मीरा के साथ बलात्कार किया। फिर वे लोग उनकी हत्या करने की नीयत से अचेतावस्था में उन्हें लेकर कहीं और जा रहे थे। इस दौरान वे मोटरसाइकिल गिर गई और उनके सिर में गंभीर चोटें आईं। उन्हें अर्ध नग्न अवस्था में वहीं छोड़कर अपराधी भाग गए। गांव के ही एक आदमी मदन राय ने मीरा सहनी के बच्चों से कहा कि उनकी मां सड़क के किनारे एक गड्ढ़े में गिरी हुई हैं। उन्होंने बच्चों को सलाह दी कि वे उन्हें लाने जाएं तो साड़ी लेकर जाएं। गांव वाले घायल मीरा सहनी को पहले कटरा के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर ले गए। वहां से उन्हें श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और फिर वहां से उन्हें पीएमसीएच भेजा गया। यहां इलाज के दौरान 24 मई को उनकी मौत हो गई।
मामला दर्ज करने को तैयार नहीं थी पुलिस
मीरा सहनी के पति छोटू सहनी 20 मई को पटना पहुंचे और 22 मई को उन्होंने कटरा थाने में पहुंचकर एफआईआर दर्ज करानी चाही लेकिन पुलिस ने इसे स्वीकार नहीं किया। 25 मई को जब इस मामले में पूर्व आईजी रामचंद्र खान और अनिल प्रकाश जैसे लोगों ने हस्तक्षेप किया तो पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया। इस शिकायत में छोटू सहनी ने रीतुराज सिंह उर्फ पच्छु सिंह, अवधेश राय उर्फ मदन राय, विनोद सिंह उर्फ नागेन्द्र सिंह, चंद्रशेखर सिंह, राजकुमार और पप्पू सिंह को अभियुक्त बनाया। पुलिस ने इनमें से एक को भी गिरफ्तार नहीं किया है।
कटरा के थानाध्यक्ष मनोज कुमार ने पीयूसीएल की टीम को बताया कि मीरा सहनी के साथ कोई बलात्कार नहीं हुआ था। वह मोटरसाइकिल से हुई दुर्घटना के कारण घायल हो गई थीं। थानाध्यक्ष ने टीम को बताया कि छोटू सहनी ने 25 मई को एफआईआर दर्ज कराई है जिसमें छह लोगों को अभियुक्त बनाया गया है।
पीयूसीएल की टीम को पता चला कि घटना के पांच दिनों के बाद पोस्टमार्टम और फारेंसिक रिपोर्ट तैयार हुई। इससे साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की आशंका बढ़ गई। स्थानीय पुलिस ने इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया था कि मीरा सहनी की मौत सिर में चोट लगने से हुई है वहीं फॉरेंसिक रिपोर्ट ने बलात्कार की थ्योरी को भी खारिज कर दिया।

बलात्कार के साक्ष्य मौजूद- पीयूसीएल
पीयूसीएल की टीम का मानना है कि इस बात के पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं कि मीरा सहनी के साथ बलात्कार किया गया। पुलिस के पास इसका कोई जवाब नहीं था कि मीरा सहनी अर्ध नग्न अवस्था में कैसे पाई गईं। पुलिस तो एफआईआर भी दबाव के बाद ही दर्ज कर सकी। पुलिस ने इस मामले में आए तथ्यों की छानबीन नहीं की। यहां तक कि उसने उस मोबाइल कॉल की भी छानबीन नहीं की जो मीरा सहनी ने रात में रीसीव किया था। अगड़ी जाति के कई लोगों ने मीरा सहनी के चरित्र पर सवाल उठाये और कहा कि वह अक्सर रात में बाहर जाती थी। पीयूसीएल की टीम ने सवाल उठाया है कि अगर उनलोगों की बात मान भी ली जाए तो क्या ऐसी महिला को जीने और सुरक्षा पाने का अधिकार नहीं है। महिला की सामाजिक निंदा इसलिए भी की जाती है ताकि जांच और न्याय पर असर पड़े। आम तौर पर दलित महिलाओं के साथ ऐसा ही होता है। पुलिस का कहना है कि वह महिला रात में धार्मिक समारोह में शामिल होने गई थी लेकिन उसने इस बात की तस्दीक नहीं की कि वह उस धार्मिक समारोह में देखी गई थी या नहीं। वैसे कई महिला संगठनों के दबाव डालने के बाद इस मामले की दुबारा जांच की जा रही है।

पीयूसीएल के निष्कर्ष

पीयूसीएल की टीम का यह भी मानना है कि ऐसे मामलों में एफआईआर तत्काल दर्ज करने की व्यवस्था होनी चाहिए। एक ऐसा तंत्र विकसित होना चाहिए जिससे इस बात पर निगरानी रखी जा सके कि थानों में लोगों की शिकायत दर्ज हो रही है या नहीं। हर जिले में कम से कम तीन महिला थाना होने चाहिए। महिलाओं और कमजोरों के साथ होने वाले अपराधों को लेकर पुलिस को ज्यादा संवेदनशील बनाने की जरूरत है। महिला पंचायत जनप्रतिनिधियों को ज्यादा से ज्यादा ट्रेनिंग देने की जरूरत है ताकि वे महिला अधिकारों  के लिए प्रभावशाली तरीके से लड़ सकें। अधिकतर गांवों में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार तभी होता है जब वे नित्य क्रिया से निवृत्त होने के लिए घर से बाहर जाती हैं। घरों में शौचालय नहीं होने का मसला उनके जीवन और पहचान से जुड़ा मसला हो गया है। इसे किसी भी हाल में हर घर में होने की गारंटी होनी चाहिए। 

रविवार, 16 सितंबर 2012

विमल पासवान अपनी बेटियों को नहीं पढ़ायेंगे

कमलेश
सात बेटियों के पिता विमल पासवान अब अपनी बेटियों को नहीं पढ़ायेंगे। उनकी बेटियां अब स्कूल नहीं जाएंगी भले उन्हें साइकिल मिले या नहीं। अब साइकिल के लिए इज्जत के साथ-साथ जान का सौदा कौन करे। उन्होंने अपनी दूसरी बेटी कविता को स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा था। लेकिन उनकी बेटी गांव के ही बड़े और दबंग लोगों की नजर पर चढ़ गई। पहले तो उसका स्कूल आना-जाना मुश्किल किया गया और जब इसके बावजूद उसने अपना सिर नहीं झुकाया तो गांव के शरीफजादों ने उसके साथ बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या करके उसकी लाश कुंए में फेंक दी। लाख शिकायतों के बावजूद जब पुलिस ने कुछ नहीं किया तो लोगों का गुस्सा फूटा और लोगों ने थाने पर प्रदर्शन किया। पुलिस ने लोगों पर बल प्रयोग किया और इसके जवाब में उग्र लोगों ने थाने पर रोड़ेबाजी की और आग लगाई। बदले में पुलिस ने गोली चलाकर एक प्रदर्शनकारी रणधीर पासवान को मार डाला।
यह कहानी है बिहार के राजधानी के बिल्कुल बगल में स्थित वैशाली जिले के सराय थाना के प्रबोधी सिसौना गांव की। घटना एक महीने पुरानी है। लेकिन इसने बिहार के राजनीतिक माहौल को गरमा दिया था।  हालाँकि पुलिस ने यह कहकर अपनी लाज बचाई कि थाना पर हमला करने वाले लोग बाहर के गांव से आये थे। लेकिन अब पता चला है कि मामला ही कुछ अलग था.। इसका खुलासा हुआ है पीयूसीएल की जाँच रिपोर्ट में।  वैसे इस रिपोर्ट को बिहार की मिडिया में जगह नही मिल पाई। 
  विमल पासवान ने अपनी यह पीड़ा इस घटना की जांच के लिए प्रबोधी गांव पहुंचे पीयूसीएल की टीम को सुनाई। इस टीम में किशोरी दास, मिथिलेश कुमार, मनीष कुमार और नागेश्वर प्रसाद शामिल थे। इस टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट 14 सितम्बर को ही जारी की है। इस रिपोर्ट को पढ़ने से साइकिल चलाकर स्कूल जाने वाली लड़कियों की तस्वीर के स्याह पक्ष का पता चलता है। 
पीयूसीएल की जांच रिपोर्ट में जो कहानी उभर कर सामने आ रही है वह बिहार में चल रहे महिला सशक्तिकरण के शोर का भी खुलासा करती है। कविता मूलत: दलित समुदाय की लड़की थी और उसके पिता विमल पासवान अनपढ़ हैं। कविता सराय के आदर्श उच्च विद्यालय में दसवीं कक्षा की छात्रा थी। विमल पासवान अपनी बेटी कविता की शादी के बारे में सोच ही रहे थे कि उसके साथ ऐसी घटना हो गई। सात जुलाई की शाम कविता अपनी दो छोटी बहनों के साथ जलावन चुनने बागीचा गई थी। इस दौरान जामुन चुनने के क्रम में वह पिछड़ गई और दोनों बहनें घर चली आईं। जब वह देर रात तक घर नहीं लौटी तो घर के लोग उसे खोजने निकले। पूरी रात तलाश चली लेकिन कविता नहीं मिली। तलाश करने का क्रम 8 जुलाई को भी जारी रहा। लेकिन कविता का कोई पता नहीं चला। 9 जुलाई को गांव के एक कुंए में कविता की लाश मिली। लाश की बांहें पीछे दुपट्टे से बांधी हुई थी। बाद में पुलिस भी वहां पहुंची। लेकिन लोगों ने लाश को पुलिस के हवाले करने से इनकार कर दिया और एसपी तथा डीएम को घटनास्थल पर बुलाने की मांग करने लगे। लाश तब तक कुंए के पास ही पड़ी रही। बाद में डीएसपी ने लोगों को समझा-बुझा कर लाश को वहां से उठवाया और सड़क पर रखवा दिया। लाश के सड़क पर रखते ही पुलिस ने जबरन लाश के अपने कब्जे में ले लिया और चली गई। 
बलात्कार और हत्या का आरोप सिसौनी प्रबोधी गांव के सुधीर कुमार और चंचल कुमार पर लगाया गया है। ये दोनों दबंग परिवार के हैं और अक्सर कविता के स्कूल जाने और स्कूल से लौटकर आने के समय उसपर भद्दी टिप्पणी किया करते थे। भय और लज्जा के कारण कविता इस बात को कहीं बता नहीं पाती थी। गांव के लोगों ने बताया कि ये दोनों युवक अक्सर गांव में रोब दिखाते रहते थे और उनलोगों ने विमल पासवान के साथ भी ऐसा ही किया था। सुधीर का बड़ा भाई अपराधी है और हाजीपुर जेल में बंद था। पीयूसीएल की टीम को पता चला कि वह भी जेल से फरार हो गया है। गांव के ही एक दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या करने का आरोप इनके परिवार पर लगा था।
कविता के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में पुलिस के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किये जाने के खिलाफ नौजवान भारत सभा और महिला चेतना संघ ने 16 अगस्त को सराय बाजार के सूरज चौक पर धरना-प्रदर्शन का कार्यक्रम आयोजित किया था। पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारी जबरन दुकानें बंद करवा रहे थे और सड़क जाम कर यातायात बाधित कर रहे थे। पुलिस ने ये भी दावा किया है कि प्रदर्शनकारी घातक हथियारों से लैस थे। पुलिस के अनुसार जब वह प्रदर्शनकारियों की तरफ बढ़ी तो प्रदर्शनकारी उसके साथ मारपीट करने लगे। इसमें पुलिस का एक जवान घायल हो गया। इसके बाद एक हजार लोग थाने पर पहुँच कर रोड़ेबाजी करने लगे। पुलिसकर्मियों ने इस मामले में सराय थाना में प्राथमिकी भी दर्ज कराई है। इसमें कहा गया है कि प्रदर्शनकारी थाने पर पहुंचकर मारपीट और लूटपाट करने लगे। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने थाना और वहां रखी गाड़ियों में आग लगा दी। अपनी प्राथमिकी में पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों की ओर से फायरिंग होने लगी और एक प्रदर्शनकारी एक सिपाही की रायफल लेकर भागने लगा। इसके बाद पुलिस ने आत्मरक्षार्थ गोली चलाई। इस गोलीकांड में रणधीर पासवान नामक युवक मारा गया। रणधीर पासवान के भाई ने भी इस मामले में एक प्राथमिकी दर्ज कराई है और उसने कहा है कि रणधीर पासवान बाजार से सामान खरीदकर आ रहा था और हंगामा होते देखकर रुक गया। इतनी देर में पुलिस की एक गोली उसके सिर में लगी। इलाज के क्रम में उसकी मौत हो गई।
पीयूसीएल ने माना है कि सराय थाने पर हुई गोलीबारी बलात्कार और हत्या के मामले में पुलिस की निष्क्रियता का नतीजा है। पुलिस की शिथिलता से आम लोगों को लगा पुलिस और दबंग अपराधियों में सांठ-गांठ है। लिहाजा लोगों ने थाने पर प्रदर्शन किया और मामला रोड़ेबाजी तक पहुंचा। पीयूसीएल ने मृतका कविता के पिता विमल पासवान को चौकीदार की नौकरी देने, अभियुक्तों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने, पुलिस फायरिंग में मरे रणधीर पासवान के परिजनों को सरकारी नौकरी और मुआवजा देने और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।