सोमवार, 21 नवंबर 2011

जाग बाबु जाग

पढिये भोजपुर के वामपंथी मिजाज के लोक कवि विद्यासागर पाण्डेय क़ी एक चर्चित कविता. कवि का मानना है कि ये बात वह नही भारत माता कह रही हैं.

जाग बाबु जाग हमरा दूध के दुलार हो
मुंह बाय अजगर लीले के तइयार हो

खेत करखनावा खदनावा में खटेल
बारहो महिनवा जे तू सीमवा अगोरेल
रक्षमाम रक्षमाम मचल हाहाकार हो
जाग बाबु जाग हमरा दूध के दुलार हो

घुमेली आवारा बनी काम बिनु जवानी
मांगे रोटी पावे गोली देख मेहरबानी
अइसन जनतंत्र के धिकार बा धिकार हो
जाग बाबु जाग हमरा दूध के दुलार हो

काट मुंड काट अतियाचारी बलात्कारी के
बार द लुकार राज बा बनुकधारी के
फेनु से संवार आपन नया संसार हो
जाग बाबु जाग हमरा दूध के दुलार हो

रहिती निपुतिनी कुपूत नाही रहिते
रोटिया के मोल पर न इजती बिकयते
जेकरे बहिन बेटी देख उहे खरीदार हो
जाग बाबु जाग हमरा दूध के दुलार हो

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें