बचेंगे तो सहर देखेंगे
कमलेश

खुदरा व्यवसायी इस मामले में बहुत आंकड़ेबाजी के बारे में नहीं जानते। कुछ लोगों ने तो वालमार्ट का नाम भी पहली बार सुना है। हालांकि अधिकतर दुकानदारों ने कहा कि इसके खिलाफ हुए बंद में वे पूरी तरह शामिल थे और उन्होंने खुद अपनी दुकानों को बंद रखा था।
खुदरा व्यवसायियों के नेता हैं रमेश चंद्र तलरेजा। बिल्कुल पारंपरिक अंदाज में धोती-कुरता पहनने वाले तलरेजा देखने से ही खुदरा व्यापारी के प्रतिरूप लगते हैं। एफडीआई को लेकर उनकी जानकारी अद्भुत थी और उन्होंने बिल्कुल जमीनी अंदाज में समझाया कि एफडीआई का असर उनके व्यवसाय पर किस तरह पड़ेगा। उनसे बात शुरू हुई तो वे पहले हंसे और फिर धीरे से कहा- वाल मार्ट तो अभी दूर है। संकट तो अभी से शुरू हो गया है। खुदरा दुकानदारों की रोजी-रोटी पर तो अभी से ही बिजली गिरने लगी है। आज की तारीख में हमारे 15 फीसदी ग्राहक हमसे अलग हो गए हैं। हमारे ये ग्राहक ऐसे थे जो नकद ग्राहक थे और जिनके यहां से उधार की कोई गुंजाइश नहीं थी।
हमारे नहीं समझने पर तलरेजाजी ने समझाने वाले अंदाज में कहा- हाल के दिनों में पटना में खरीदारी की सूरत पूरी तरह बदल गई है। पटना में इधर के दिनों में तेजी से खुल रहे मेगा मार्ट और मॉल ने हमारे धंधे को चौपट करने की शुरूआत कर दी है। उनके अनुसार पटना में खुदरा दुकानदारों की ये स्थिति तब हुई है जब शहर में केवल एक मॉल है। अभी दो-तीन मॉल खुलने वाले हैं। इनके खुलने के बाद तो और हालत खराब हो जाएगी। इसके बाद हम वॉलमार्ट से लड़ने लायक बचेंगे तब तो लड़ेंगे।

राजधानी में पहले विशाल मेगामार्ट खुला और उसके बाद पीएनएम मॉल। खासकर मॉल खुलने के बाद खुदरा व्यापारियों ने पाया कि उनके यहां पहली श्रेणी के खरीदारों का आना कम हो रहा है। अब तो धीरे-धीरे पूरी तरह बंद हो गया है। दरअसल अब इन खरीदारों को मॉल और मेगा मार्ट में खरीदारी के साथ-साथ घूमने-फिरने की भी जगह मिल गई है। ये अपने परिवार के साथ मॉल जाते हैं, मौज-मस्ती करते हैं और सामान खरीदकर वापस आ जाते हैं। अब दलदली रोड जैसे जगहों की दुकानें उनके लिए दूसरी प्राथमिकता की दुकान रह गई हैं। मतलब इन दुकानों में वे बीच-बीच में उस समय चले जाते हैं जब उन्हें अचानक किसी खास चीज की जरूरत पड़ जाती है और वे उस एकमात्र चीज के लिए मॉल नहीं जा सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि किसी के घर में बीच महीने में अचानक घी खत्म हो जाती है तो वह जरूर इन छोटी दुकानों में जाता है। अलबत्ता दूसरी और तीसरी श्रेणी के दुकानदार अभी भी पूरी तरह ऐसी ही दुकानों के साथ हैं।

ये पटना के विकास का नया चेहरा है। यहां डॉमिनोज खुला, नेरुलाज खुलने जा रहा है और अब केएफसी की बात हो रही है। इनकी खूब चर्चा हो रही है। लेकिन जिन इलाकों में ये खुल रहे हैं उन इलाकों में छोटी-मोटी चाय-नाश्ते की दुकानें बंद होती जा रही हैं। ये बेरोजगार हो रहे लोग अभी क्या कर रहे हैं- ये जानना भी दिलचस्प होगा।
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