रविवार, 16 सितंबर 2012

विमल पासवान अपनी बेटियों को नहीं पढ़ायेंगे

कमलेश
सात बेटियों के पिता विमल पासवान अब अपनी बेटियों को नहीं पढ़ायेंगे। उनकी बेटियां अब स्कूल नहीं जाएंगी भले उन्हें साइकिल मिले या नहीं। अब साइकिल के लिए इज्जत के साथ-साथ जान का सौदा कौन करे। उन्होंने अपनी दूसरी बेटी कविता को स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा था। लेकिन उनकी बेटी गांव के ही बड़े और दबंग लोगों की नजर पर चढ़ गई। पहले तो उसका स्कूल आना-जाना मुश्किल किया गया और जब इसके बावजूद उसने अपना सिर नहीं झुकाया तो गांव के शरीफजादों ने उसके साथ बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या करके उसकी लाश कुंए में फेंक दी। लाख शिकायतों के बावजूद जब पुलिस ने कुछ नहीं किया तो लोगों का गुस्सा फूटा और लोगों ने थाने पर प्रदर्शन किया। पुलिस ने लोगों पर बल प्रयोग किया और इसके जवाब में उग्र लोगों ने थाने पर रोड़ेबाजी की और आग लगाई। बदले में पुलिस ने गोली चलाकर एक प्रदर्शनकारी रणधीर पासवान को मार डाला।
यह कहानी है बिहार के राजधानी के बिल्कुल बगल में स्थित वैशाली जिले के सराय थाना के प्रबोधी सिसौना गांव की। घटना एक महीने पुरानी है। लेकिन इसने बिहार के राजनीतिक माहौल को गरमा दिया था।  हालाँकि पुलिस ने यह कहकर अपनी लाज बचाई कि थाना पर हमला करने वाले लोग बाहर के गांव से आये थे। लेकिन अब पता चला है कि मामला ही कुछ अलग था.। इसका खुलासा हुआ है पीयूसीएल की जाँच रिपोर्ट में।  वैसे इस रिपोर्ट को बिहार की मिडिया में जगह नही मिल पाई। 
  विमल पासवान ने अपनी यह पीड़ा इस घटना की जांच के लिए प्रबोधी गांव पहुंचे पीयूसीएल की टीम को सुनाई। इस टीम में किशोरी दास, मिथिलेश कुमार, मनीष कुमार और नागेश्वर प्रसाद शामिल थे। इस टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट 14 सितम्बर को ही जारी की है। इस रिपोर्ट को पढ़ने से साइकिल चलाकर स्कूल जाने वाली लड़कियों की तस्वीर के स्याह पक्ष का पता चलता है। 
पीयूसीएल की जांच रिपोर्ट में जो कहानी उभर कर सामने आ रही है वह बिहार में चल रहे महिला सशक्तिकरण के शोर का भी खुलासा करती है। कविता मूलत: दलित समुदाय की लड़की थी और उसके पिता विमल पासवान अनपढ़ हैं। कविता सराय के आदर्श उच्च विद्यालय में दसवीं कक्षा की छात्रा थी। विमल पासवान अपनी बेटी कविता की शादी के बारे में सोच ही रहे थे कि उसके साथ ऐसी घटना हो गई। सात जुलाई की शाम कविता अपनी दो छोटी बहनों के साथ जलावन चुनने बागीचा गई थी। इस दौरान जामुन चुनने के क्रम में वह पिछड़ गई और दोनों बहनें घर चली आईं। जब वह देर रात तक घर नहीं लौटी तो घर के लोग उसे खोजने निकले। पूरी रात तलाश चली लेकिन कविता नहीं मिली। तलाश करने का क्रम 8 जुलाई को भी जारी रहा। लेकिन कविता का कोई पता नहीं चला। 9 जुलाई को गांव के एक कुंए में कविता की लाश मिली। लाश की बांहें पीछे दुपट्टे से बांधी हुई थी। बाद में पुलिस भी वहां पहुंची। लेकिन लोगों ने लाश को पुलिस के हवाले करने से इनकार कर दिया और एसपी तथा डीएम को घटनास्थल पर बुलाने की मांग करने लगे। लाश तब तक कुंए के पास ही पड़ी रही। बाद में डीएसपी ने लोगों को समझा-बुझा कर लाश को वहां से उठवाया और सड़क पर रखवा दिया। लाश के सड़क पर रखते ही पुलिस ने जबरन लाश के अपने कब्जे में ले लिया और चली गई। 
बलात्कार और हत्या का आरोप सिसौनी प्रबोधी गांव के सुधीर कुमार और चंचल कुमार पर लगाया गया है। ये दोनों दबंग परिवार के हैं और अक्सर कविता के स्कूल जाने और स्कूल से लौटकर आने के समय उसपर भद्दी टिप्पणी किया करते थे। भय और लज्जा के कारण कविता इस बात को कहीं बता नहीं पाती थी। गांव के लोगों ने बताया कि ये दोनों युवक अक्सर गांव में रोब दिखाते रहते थे और उनलोगों ने विमल पासवान के साथ भी ऐसा ही किया था। सुधीर का बड़ा भाई अपराधी है और हाजीपुर जेल में बंद था। पीयूसीएल की टीम को पता चला कि वह भी जेल से फरार हो गया है। गांव के ही एक दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या करने का आरोप इनके परिवार पर लगा था।
कविता के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में पुलिस के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किये जाने के खिलाफ नौजवान भारत सभा और महिला चेतना संघ ने 16 अगस्त को सराय बाजार के सूरज चौक पर धरना-प्रदर्शन का कार्यक्रम आयोजित किया था। पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारी जबरन दुकानें बंद करवा रहे थे और सड़क जाम कर यातायात बाधित कर रहे थे। पुलिस ने ये भी दावा किया है कि प्रदर्शनकारी घातक हथियारों से लैस थे। पुलिस के अनुसार जब वह प्रदर्शनकारियों की तरफ बढ़ी तो प्रदर्शनकारी उसके साथ मारपीट करने लगे। इसमें पुलिस का एक जवान घायल हो गया। इसके बाद एक हजार लोग थाने पर पहुँच कर रोड़ेबाजी करने लगे। पुलिसकर्मियों ने इस मामले में सराय थाना में प्राथमिकी भी दर्ज कराई है। इसमें कहा गया है कि प्रदर्शनकारी थाने पर पहुंचकर मारपीट और लूटपाट करने लगे। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने थाना और वहां रखी गाड़ियों में आग लगा दी। अपनी प्राथमिकी में पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों की ओर से फायरिंग होने लगी और एक प्रदर्शनकारी एक सिपाही की रायफल लेकर भागने लगा। इसके बाद पुलिस ने आत्मरक्षार्थ गोली चलाई। इस गोलीकांड में रणधीर पासवान नामक युवक मारा गया। रणधीर पासवान के भाई ने भी इस मामले में एक प्राथमिकी दर्ज कराई है और उसने कहा है कि रणधीर पासवान बाजार से सामान खरीदकर आ रहा था और हंगामा होते देखकर रुक गया। इतनी देर में पुलिस की एक गोली उसके सिर में लगी। इलाज के क्रम में उसकी मौत हो गई।
पीयूसीएल ने माना है कि सराय थाने पर हुई गोलीबारी बलात्कार और हत्या के मामले में पुलिस की निष्क्रियता का नतीजा है। पुलिस की शिथिलता से आम लोगों को लगा पुलिस और दबंग अपराधियों में सांठ-गांठ है। लिहाजा लोगों ने थाने पर प्रदर्शन किया और मामला रोड़ेबाजी तक पहुंचा। पीयूसीएल ने मृतका कविता के पिता विमल पासवान को चौकीदार की नौकरी देने, अभियुक्तों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने, पुलिस फायरिंग में मरे रणधीर पासवान के परिजनों को सरकारी नौकरी और मुआवजा देने और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।  

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